
चालाक बूढ़ी औरत
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बहुत साल पहले की बात है, एक बूढ़ी औरत ऐसे राज्य में रहती थी जिसकी रानी बहुत सुन्दर थी. उसके चार बेटे थे जो आपस में लड़ते थे और उनकी पत्नियाँ भी एक दूसरे को पसंद नहीं करती थी. वो सब एक ही घर में रहते थे लेकिन इतना लड़ते थे की उन्होंने अलग रसोई रखी. बूढ़ी औरत चाहती थी के सब एक साथ ख़ुशी से रहे और एक दूसरे की मदत करे. उसने धमकी दी की वो सब को घर से निकल देगी अगर वो एक साथ मिलकर नहीं रहेंगे. उसने यह भी कहा की पैसे बचाने के लिए, एक ही रसोई रखी जाएगी. ऐसे करने से उसे इस बात की उम्मीद थी की सब एक साथ मिलकर रहने लगेंगे. बेटे थक गए और आखिर में उन्होंने अपनी माँ की बात मान ही ली.
बेटे अपनी सारी कमाई अपनी माँ को देते थे क्योंकि वो गरीब थी. एक दिन सबसे छोटा बेटा काम की तलाश में शहर गया लेकिन निराश हो कर वापस लौटा. रास्ते में उसने मरे हुए साँप को देखा और उसने उसे उठालिया, क्योंकि वो खाली हाथ नहीं वापस लौटना चाहता था. जब उसकी माँ ने उस्से उसकी कमाई मांगी तो उसने उसको साँप देदी. माँ ने उसे दिलासा दिया की वो फिर से कोशिश करे. वो साँप किसी काम का नहीं था इसलिए उसने उसे छज्जे पर फेक दिया.
उसी दिन राज्य की रानी एक सुन्दर से तालाब में नहाने गयी. उसने अपनी एक कीमती हार अपने नौकरानियों के पास छोड़ दिया. अचानक एक चील ने चमकती हुई हार को देखा और उसे छीन कर ले गया. नौकरानियों ने चिलाया लेकिन कोई मदत करने नहीं आया. रानी इतनी उदास हो गयी के उसने एलान किया की, जिसने भी उस हार को ढूंढा उसे बड़ा इनाम मिलेगा.
उड़ते हुए चील ने बुढ़िया के छज्जे पर साँप देखा और उसे समझ में आया के साँप को तो खाया जा सकता है, लेकिन वो हार किसी काम का नहीं है. उसने हार को छोड़ दिया और साँप को ले गया.
अगले दिन बूढ़ी औरत छज्जे पर कपड़े डालने गयी तो उसने हार को देखा. वो जानती थी की रानी वो हार कबसे ढूंढ रही थी.
दिवाली कुछ ही दिनों में होने वाली थी. इस मौके पर दिये जलाये जाते है को लक्ष्मीजी खुश करने के लिए. बूढ़ी औरत रानी के महल गयी और चौकीदार से पूछा की क्या वो रानी से मिल सकती है. रानी ने हार को देखा तो वो बहुत खुश हो गयी और उसने वादा किया के वो बूढ़ी औरत को बड़ी रकम देगी.
बूढ़ी औरत ने मना कर दिया और बोली, 'मैं गरीब हूँ, इतनी बड़ी रकम मैं संभाल नहीं सकती. मेरी यह इच्छा है की दिवाली पर, सिर्फ मेरे ही घर में दिये जलाये जाये, और किसी के घर में नहीं.’
रानी थोड़ा हैरान हुई लेकिन वो इतनी खुश थी की उसने आदेश दिया की सिर्फ बूढ़ी औरत के ही घर में दिये जलेंगे.
बूढ़ी औरत ने अपने परिवार को घर का एक एक कोना साफ़ करने को कहा, और खूबसूरत फूल से सजाने को भी कहा. सबने साथ में मिलकर काम किया और बूढ़ी औरत ने पुरे घर में दिये जलाये.
बारह बजे लक्ष्मीजी आयी और चारो तरफ अँधेरा देख कर निराश होगयी. लेकिन उन्होंने बूढ़ी औरत के घर में जलते हुए दिये देखे. क्योंकि उन्हें दिये पसंद थे उन्होंने बूढ़ी औरत के दरवाज़े पर दस्तक दी. बूढ़ी औरत ने दरवाज़ा खोला और अपने परिवार वालो को लक्ष्मीजी को फूल और मिठाइयों से स्वागत करने के लिए कहा. लक्ष्मीजी खुश होगयी और उन्होंने पुरे परिवार से कुछ बदले में मांगने के लिए कहा, क्योंकि वो उनके भक्ति से प्रसन्न थी.
बूढ़ी औरत ने कहा, 'हम चाहते है की आप हमारे घर में हमेशा के लिए रहे ताकि हम सदा ख़ुशी से रह सके.'
लक्ष्मीजी सोच कर बोली, 'मैं रहने को तैयार हूँ, लेकिन आप सब को एक साथ मिलकर रहना होगा, लड़ना नहीं है. अगर किसी ने भी मेरी बात नहीं मानी, तो मैं यह घर छोड़कर चली जाऊँगी.’
सब इस बात से बहुत खुश थे की लक्ष्मीजी संतुष्ट थी. वो सब उनकी बात मान गए और उसी दिन से पूरा परिवार मिल जुल कर साथ में रहने लगा और एक दूसरे की इज़त करने लगे. बूढ़ी औरत इस बात से संतुष्ट थी की उसकी इच्छा पूरी होगयी. इसी तरह से, लक्ष्मीजी आने वाले पीढ़ियों के लिए भी उनके घर पर पधारी.
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