
घंमडी मोर
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दुनिया की शुरुआत में, एक तरह का केवल एक ही पशु था इसलिए सब एक दूसरे से अलग थे। भारत में सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान में, पंकज नामक एक सुंदर मोर रहता था। पंकज के पंख हरे सुनहरे नीले थे जो चमकते थे और इनके कारण जंगल में हर कोई उसे पसंद करता था। उसकी गर्दन और आँखें भी बहुत सुंदर थीं और हर कोई उसके अद्भुत रूप-रंग की तारीफ़ करता था। पंकज सब जानवरों से यह सुनकर बहुत ख़ुश होता था कि वह कितना अद्भुत है।
लेकिन पंकज विनम्र नहीं था और न ही वह किसी और की तारीफ करता था। वह बेकाम था और घंटों अपने पंख निहारता रहता था। उनका मानना था कि वह दूसरे सभी जानवरों से बहुत बेहतर है और घमंड में रहता था। लेकिन दूसरे जानवर कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं करते थे क्योंकि पंकज बहुत ही उग्र स्वभाव का था और उसका गुस्सा हमेशा नाक पर बैठा रहता था!
एक दिन, माया बंदर को चोट लग गई और इसलिए सभी जानवर उसकी तीमारदारी में लग गए और पंकज का नृत्य देखना भूल गए। 'तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई कि तुम मेरा नृत्य देखने नहीं आए? सिर्फ माया की मदद करने के लिए! वह घृणित है - मेरा नृत्य बहुत ज़्यादा महत्वपूर्ण है! तुम सब मुझसे माफी माँगों!' पंकज गुस्से से आग-बबूला हो गया और उसके कानों से धुएँ उठने लगे।
‘लेकिन पंकज, उसे चोट लगी थी और हमें एक दूसरे की देखभाल करनी चाहिए।’ जानवरों ने कहा।
‘ओह, तुम्हें क्या पता? तुम सब बेकार हो! ईशा हाथी, तुम बहुत मोटे हो और तुम पर बहुत झुर्रियाँ हैं! चांदनी मगरमच्छ, तुम्हारी खाल बहुत मोटी है! गौतम जिराफ, तुम बहुत लंबे हो! और लक्ष्मण शेर, तुम्हारे दांत बहुत तेज हैं!’ पंकज चिल्लाया। वह बड़बड़ाता ही चला गया, और बिना किसी पछतावे के जंगल में हर जानवर के बारे में कठोर बातें कहता रहा। फिर वह घमंड से इतराते हुए चला गया। जानवर पंकज की बातों से बहुत दुखी हुए और उन्होंने फैसला किया कि कोई उससे बात नहीं करेगा।
अगले दिन, पंकज दूसरे जानवरों से बात करने के लिए गया, लेकिन जब किसी ने उसके साथ एक शब्द भी नहीं बोला, तो वह निराश हो गया और मंदिर की तरफ भाग गया। ‘भगवान, कोई भी मेरे लिए बात क्यों नहीं कर रहा? मैंने क्या किया है? कृपया मेरी मदद करो!’ उसने कहा। तब भगवान ने उत्तर दिया। ‘तुमने जंगल में हर किसी का बहुत ख़राब टिप्पणियों से अपमान किया है और अब मुझे तुम्हें सज़ा देनी चाहिए। मैंने तुम्हारा हर हिस्सा सुंदर बनाया था क्योंकि मैंने सोचा था कि तुम इसके लायक हो - लेकिन स्पष्ट है कि तुम इसके लायक नहीं हो। तुम्हारे और तुम्हारे वंशजों के अब के बाद से बदसूरत पैर होंगे!’
लेकिन, पंकज ने इससे कुछ सीख नहीं ली। हर रोज़, जब वह दूसरे जानवरों के साथ कठोर होता था, वे उसे याद दिलाते थे कि उसके साथ क्या हो सकता है। उसके बाद पंकज माफी माँगता। और अगले दिन वह वैसा ही करता जैसा उसने पिछले दिन किया था। और इस तरह यह दुष्चक्र चलता चला गया। तब तक, जब तक एक दिन सभी जानवर उसके कठोर व्यवहार से तंग नहीं आ गए। उन सबने फैसला किया कि वे मंदिर जाएँगे और भगवान से उसे सज़ा देने के लिए कहेंगे। जैसे-जैसे वे मंदिर की तरफ जा रहे थे, उनका क्रोध और घृणा बढ़ती जा रही थी! अंत में, वे मंदिर पहुँच गए और उन्होंने भगवान को बुलाया।
‘अब क्या बात है? मैं आज व्यस्त हूँ!’ भगवान ने कहा।
‘हम चाहते हैं कि पंकज को उसे किए की सज़ा मिले, भगवान। यहां तक कि उसे बदसूरत पैर दिए जाने के बाद भी वह कुछ नही सुनता। कृपया उसका कुछ ऐसा ले लो जिससे वह सचमुच प्यार करता है। उसे सबकी ओर इतना ढीठ बनने से रोगो!’ जानवरों की मांग की।
‘अच्छा ठीक है! मैं पक्का करूँका कि वह तुममें से किसी को परेशान न करे। अब वह तब तक नृत्य नहीं कर सकेगा जब तक बारिश नहीं होगी। वह नृत्य से प्यार करता है लेकिन अब वह केवल उदास मौसम में ही नृत्य कर सकेगा!’ भगवान ने आज्ञा दी।
‘हमारी इच्छाएँ पूरी करने के लिए धन्यवाद,’ जानवरों ने खुशी से कहा।
उसके बाद, पंकज को अच्छा सबक मिल गया। और यही कारण है कि लोग कहते हैं कि मोर के पैर बदसूरत होते हैं और वह तभी नृत्य करता है जब बारिश होती है!
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