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एक बार की बात है, एक बंदर नदी के पास एक पेड़ पर रहता था। बंदर अकेला था क्योंकि उसका कोई दोस्त या परिवार नहीं था, लेकिन वह खुश और संतुष्ट था। पेड़ उसे खाने के लिए बहुत-से मीठे जामुन देता था, सूर्य से छाया देता था और बारिश से आश्रय देता था। उस नदी में एक मगरमच्छ रहता था और एक दिन वह तैरकर नदी के तट पर बंदर के पेड़ के नीचे आराम करने के लिए आ गया। 'नमस्ते', बंदर ने पुकार कर कहा जो बहुत दोस्ताने वाला पशु था। 'नमस्ते', मगरमच्छ ने आश्चर्य से कहा। 'क्या तुम जानते हो कि मुझे कुछ भोजन कहाँ मिल सकता है?' उसने पूछा। 'मैंने दिन भर कुछ नहीं खाया और मुझे सच में भूख लगी है।' अब आप शायद यह सोच सकते हैं कि मगरमच्छ बंदर को ही खाना चाहता था, लेकिन यह बहुत दयालु और सज्जन मगरमच्छ था और यह विचार उसके दिमाग़ में आया ही नहीं था। बंदर ने कहा जो बहुत दयालु था, 'मेरे पेड़ पर बहुत सारे फल लगे है। आप तुम कुछ खाना पसंद करोगे?' उसने कुछ फल मगरमच्छ के पास नीचे फेंक दिए। मगरमच्छ को इतनी भूख लगी थी कि उसने वे सभी जामुन खा लिए हालाँकि मगरमच्छ आम तौर पर फल नहीं खाते। उसे वह मीठा चरपरा फल बहुत पसंद आया और जब उसका पेट भर गया, तो बंदर ने कहा, 'जब तुम्हें और फल चाहिए तो चले आना'। जल्दी ही मगरमच्छ बंदर के पास रोज़ाना आने लगा। वे दोनों जानव अच्छे दोस्त बन गए - वे बातें करते थे और एक दूसरे को कहानियाँ सुनाते थे, और साथ मिलकर बहुत-से जामुन खाते थे। एक दिन मगरमच्छ ने बंदर को अपनी पत्नी और परिवार के बारे में बताया। बंदर ने कहा, 'जब तुम आज वापस जाओ तो कृपया कुछ फल अपनी पत्नी के लिए भी ले जाना'। मगरमच्छ की पत्नी को भी जामुन बहुत पसंद आए। उसने इससे पहले इतना मीठा कुछ भी नहीं खाया था। लेकिन वह उतनी उदार और कोमल नहीं ती जितना उसका पति था और उसने कहा: 'कल्पना करो कि बंदर कितना मीठा होगा क्योंकि वह रोज़ाना ये फल खाता है।' लेकिन दयालु मगरमच्छ ने अपनी पत्नी को यह समझाने की कोशिश की वह शायद बंदर को नहीं खा सकेगा। 'वह मेरा सबसे अच्छा दोस्त है,' उसने कहा। लेकिन उसकी लालची पत्नी ने उसकी बात नहीं सुनी और अपनी बात मनवाने के लिए उसने नाटक किया कि वह बीमा हो गई है। 'मैं मर रही हूँ और केवल मीठे बंदर का दिल ही मुझे ठीक कर सकता है', वह चिल्ला-चिल्लाकर अपने पति के आगे रोने लगी। 'यदि तुम मुझे प्यार करते हो तो तुम अपने दोस्त बंदर को ले आओगे और मुझे उसका दिल खाने दोगे।' बेचारा मगरमच्छ नहीं जानता था कि वह क्या करे - वह अपने दोस्त को नहीं खाना चाहता था, लेकिन वह अपनी पत्नी को भी मरने देना नहीं चाहता था। आखिरकार उसने तय कर लिया कि उसे क्या करना चाहिए और जब वह अगली बार बंदर के पास गया तो उसने उसे अपने घर आने और अपनी पत्नी से मिलने के लिए कहा क्योंकि कि वह मीठे जामुनों के लिए उसे मिलकर धन्यवाद देना चाहती थी। बंदर यह सुनकर बहुत खुश हुआ, लेकिन उसने कहा कि वह शायद जा नहीं सकेगा क्योंकि उसे तैरना नहीं आता। 'उसकी चिंता मत करो,' मगरमच्छ ने कहा। 'मैं तुम्हें अपनी पीठ पर बिठाकर ले जाऊँगा।' बंदर ने उसकी बात मान ली और वह मगरमच्छ की पीठ पर कूद गया। तो वे दो दोस्त तैरकर गहरी नदी के बीच में पहुँच गए। जब वे नदी के किनारे और जामुन पेड़ से बहुत दूर आ गए, तो मगरमच्छ ने कहा: 'मैं बहुत शर्मिंदा हूँ, लेकिन मेरी पत्नी बहुत बीमार है और वह कह रही है कि सिर्फ बंदर के दिल से ही उसका इलाज हो सकता है। इसलिए मुझे केद है कि मुझे तुम्हें मारना होगा हालाँकि मुझे तुम्हारी बातें बहुत याद आएँगी।' बंदर ने जल्दी से सोचा और कहा: 'प्रिय मित्र, मुझे तुम्हारी पत्नी की बीमारी की बात सुनकर बहुत दुख हुआ है और मुझे खुशी है कि मैं उसकी मदद कर सकूँगा। लेकिन मैंने तो अपना दिल जामुन के पेड़ पर ही छोड़ दिया है। मुझे लगता है कि हमें वापस जाना चाहिए ताकि मैं तुम्हारी पत्नी के लिए अपना दिल ला सकूँ?' मगरमच्छ ने बंदर की बात पर विश्वास कर लिया। वह पलटा और जल्दी से तैरकर जामुन पेड़ तक पहुँच गया। बंदर उसकी पीठ से कूद गया और सुरक्षित रूप से अपने पेड़ पर चढ़ गए। 'मैं सोचता था कि तुम मेरे दोस्त हो,' उसने पुकारकर कहा, 'क्या तुम नहीं जानते कि हमारा दिल हमारे साथ हो होता है? अब मैं कभी तुम पर भरोसा नहीं और तुम्हें अपने पेड़ से फल नहीं दूँगा। चले जाओ और फिर वापस मत आना।' मगरमच्छ को लगा कि वह वास्तव में मूर्ख बन गया है - उसका अच्छा दोस्त और अच्छे मीठे फल खो गए थे। बंदर ने खुद को बचा लिया था क्योंकि उसने जल्दी से सोचा था। लेकिन उस दिन से, उसने कभी फिर मगरमच्छों पर भरोसा नहीं किया। * जामुन का फल बड़े अंगूर या छोटे आलू बुखारे जैसा दिखता है - जब यह पक जाता है तो यह छोटा और काला होता है और इसका गूदा गुलाबी होता है जो मीठा होता है लेकिन बाद में थोड़ा खट्टा भी लगता है। जब आप जामुन खाते हैं तो आपकी जीभ जामुनी हो जाती है।