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चींटी और हाथी दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और जब भी उन्हें मौका मिलता था वो दोनों साथ में खेलते थे. मुश्किल यह थी के हाथी के पिता बहुत ही सख्त थे और उन्हें अपने बेटे का खेलना पसंद नहीं था जब स्कूल के काम करने थे या फिर जब हाथी की माँ घर के काम करवाना चाहती थी. उन्हें अपने बेटे का चींटी के साथ खेलना पसंद नहीं था क्योंकि उसे दूसरे हाथियों के साथ खेलना चाहिए था.
छोटा हाथी अपने पिता से बहुत डरता था और उसे अच्छा नहीं लगता था जब उसका पिता गुस्सा होता था. लेकिन चींटी बहादुर थी और उसके खडूस पिता से डरतथी नहीं था.
एक दिन दोनों दोस्त खेल रहे थे जब दोनों ने हाथी के पिता को गुस्से में आते हुए देखा. ज़मीन हिलने लगी, पेड़ हिलने लगे.
"मेरे पिता आ रहे है!' हाथी ने रो के कहा, डरे हुए शकल के साथ.
"में क्या करूँ?" छोटी चींटी खड़ी होगयी और सीन तान के बोली, "चिंता मत करो दोस्त, तुम मेरे पीछे चुप जाओ, तुम्हारे पिता तुम्हे ढून्ढ नहीं पायेंगे."
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