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जोहा और उसका गधा Jawaher Mutlaq Alotaibi    
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जोहा और उसका गधा

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जोहा और उसका गधा

 

 

 

 

 

 

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एक दिन, जोहा अपने गधे पर सवार होकर बाज़ार जा रहा था। जोहा का बेटा गधे के बगल में बागडोर संभालते हुए अपने पिता के साथ बातें करता हुआ चल रहा था।

जब पिता और पुत्र ट्रैक के किनारे मिलकर लोगों के एक छोटे समूह के पास से गुज रहे थे, तब लोगों ने जोहा के बारे में सोचा ।

उन्होंने बूढ़े व्यक्ति से कहा, ‘आप इतने निर्मम कैसे हो सकते हैं, जोहा? आप गधे पर कैसे सवार हो सकते हैं जब आपका बेटा आपके बगल में चलने को मजबूर हो?’

जब जोहा ने ये शब्द सुना तो वह नीचे उतर गया और अपने बेटे को अपनी जगह गधे की पीठ पर बिठा दिया।

जोहा और उसका बेटा चलता शुरू किया, जोहा गधे के बगल में चलता रहा, हाथों में बागडोर थामे और ऐसे ही वे बाजार की ओर बढ़े।

लगभग एक मील सड़क के आगे, जोहा एक कुएँ के चारों ओर इकट्ठा महिलाओं के एक छोटे समूह के पास से गुज़रा।

जब महिलाओं ने देखा तो वे चौंक गईं। उन्होंने उससे पूछा, ‘यह कैसे हो सकता है कि एक बूढ़ा आदमी पैदल चल रहा है जबकि उसका बेटा गधे पर सवार है? निश्चित रूप से यह ठीक नहीं है!'

तब जोहा अपने बेटे के साथ गधे की पीठ पर चढ़ गया और वे अपनी यात्रा जारी की ।

अब दोपहर होने लगी थी, सूरज आसमान में बहुत ऊपर चमक रहा था और बहुत गर्म भी महसूस होने लगा, लेकिन फिर भी जोहा और उसका बेटा बाज़र की ओर अपने सफ़र पर चलते रहे।

गधा अपनी पीठ पर बाप और बेटे के वजन के कारण बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था, लेकिन किसी ने तब तक नहीं सोचा जब तक कि वे उस शहर के किनारे जमे हुए लोगों के एक समूह के पास से गुज़रे, जहां बाजार लगा हुआ था। लोगों ने अस्वीकृति के साथ इशारा किया जब उन्होंने जोहा और उसके बेटे दोनों को उस छोटे गधे की पीठ पर बैठे देखा जो बाप और बेटे के वज़न के कारण गधा इतनी धीमी गति से आगे बढ़ रहा था।

‘आप इतने छोटे गधे पर क्यों सवार हैं? ’वे दोहाई देते हुए जोहा से पूछा । क्या आप देख नहीं सकते कि आप बहुत भारी हैं और आपका गधा आपके वजन को नहीं उठा पा रहा है?’

जोहा ने अपने बेटे से कहा, "मुझे लगता है कि यह अच्छा होगा, अगर हम दोनों गधे से उतरें और पैदल चलें। इस तरह कोई भी हमसे कुछ नहीं कह सकेगा।'

अतः जोहा और उसका बेटा गधे से नीचे उतर गए। जोहा नेमार्ग दिखाने के लिए गधे की बागडोर संभाली और अपने बेटे के साथ बाज़ार की ओर चल दिया जो गाँव के बीच में था।

लेकिन जब जोहा बाज़ार में पहुंचा, तो काफी लोगों ने उन पर हँसे और आलोचना की और बूढ़े आदमी का मज़ाक उढाया।

‘कैसा मूर्ख हैं!’ उन्होंने कहा। ‘कैसा आदमी है ये ! एक गधे का मालिक होने के नाते भी अपने बेटे के साथ चले जब उसे सवारी करनी थी? '

जोहा, को लोगों पर गुस्सा नहीं आया क्योंकि उसे एहसास हुआ कि हर समय हर एक व्यक्ति को खुश करना संभव नहीं है, और शायद यही सब से अच्छा है कि हर एक व्यक्ति अपने जीवन को जीने का फैसला स्वयं उठाए।

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